देव, ऋषि और पितृऋण की तरह मातृभूमि का ऋण भी प्रत्येक मनुष्य पर अवश्य ही है और
इस ऋण से मुक्ति का यथासाध्य प्रयास करना ही चाहिए, लेकिन हमारी मातृभूमि का
क्षेत्र विस्तृत है। ऐसे में धरती के सबसे महत्वपूर्ण अंग और माता सरीखी नदियों
की सेवा के साथ पानी के परंपरागत संसाधन की सेवा करने का संकल्प एक बडा कार्य
हो सकता है। .....read more
प्रख्यात पर्यावरणविद आदरणीय डॉ अनिल प्रकाश जोशी जी द्वारा चलाए जा रहे राष्ट्रव्यापी “प्रकृति नमन" कार्यक्रम का हिस्सा बनें। अपने कार्यक्षेत्र में वसंत पंचमी (14फ़रवरी) को प्रकृति के उपकार का नमन करें